इस दुनियां में जब गाँधी जैसे धार्मिक लोग बढ़ जायेंगे तब यक़ीनन पाखंडी धार्मिकता का पर्दाफास हो पायेगा ,तब तक तो भाई इन लोगो की मक्कारिया झूठे सिद्धांतों की आड़ में बर्बरता का नंगा नाच करती दिखती हैं...बोल्ड और असरकारी रचना हैं
आपका इस ब्लॉग में स्वागत है. यह ब्लॉग भारतीय दर्शन की उस परम्परा को सामने रखने का विनम्र प्रयास है जिसे "लोकायत " कहते हैं. इस दार्शनिक परम्परा के अनुयायी ईश्वर की सत्ता पर विश्वाश नही करते थे. उनका मानना था की क्रमबद्ध व्यवस्था ही विश्व के होने का एकमात्र कारण है, एवं इसमें किसी अन्य बाहरी शक्ति का कोई हस्तक्षेप नही है. भारतीय दर्शन की इस परम्परा को बलपूर्वक नष्ट कर दिए जाने का आभास मिलता है, क्योंकि हमारे प्रतिद्वंदी ग्रथों में वर्णित भौतिकवादियों के भाष्य और ग्रन्थ अब उपलब्ध नही है, न ही इस दार्शनिक धारा का कोई नामलेवा बचा है. इस ब्लॉग के माध्यम से हमारा प्रयास मानवतावादी दृष्टि कोण को उभारने का रहेगा जो किसी संप्रदाय अथवा धर्म (religion) के हस्तक्षेप से मुक्त हो. अगर आप ईश्वर की सत्ता में अविश्वाश रखते हैं, मानव को स्वयं का नियंता समझते हैं इस ब्लॉग में आपका स्वागत है. सदस्य बनने के लिए आपका नास्तिक होना एकमात्र योग्यता है fgh1256 एट जीमेल डोट काम पर मेल करें. यहाँ आप अपने प्रश्न जिज्ञासाएं एवं नास्तिकता तथा धर्म (religion)विषयक विचार पर तर्क-वितर्क कर सकते हैं, शर्त सिर्फ यह है की भाषा अपशब्द एवं व्यक्तिगत आक्षेपों से मुक्त होनी चाहिए. - ब्लॉग प्रबंधक
इस दुनियां में जब गाँधी जैसे धार्मिक लोग बढ़ जायेंगे तब यक़ीनन पाखंडी धार्मिकता का पर्दाफास हो पायेगा ,तब तक तो भाई इन लोगो की मक्कारिया झूठे सिद्धांतों की आड़ में बर्बरता का नंगा नाच करती दिखती हैं...बोल्ड और असरकारी रचना हैं
ReplyDeleteभगवान का सच्चा भक्त न किसी पर अत्याचार करता है न डर कर अत्याचार सहता है वो हर हाल में अत्याचार के विरूद्ध उठ खड़ा होता है।
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