Thursday, April 15, 2010

इस ब्लॉग का उद्देश्य क्या है ?

आपका इस ब्लॉग में स्वागत है. यह ब्लॉग भारतीय दर्शन की उस परम्परा को सामने रखने का विनम्र प्रयास है जिसे "लोकायत " कहते हैं. इस दार्शनिक परम्परा के अनुयायी ईश्वर की सत्ता पर विश्वाश नही करते थे. उनका मानना था की क्रमबद्ध व्यवस्था ही विश्व के होने का एकमात्र कारण है, एवं इसमें किसी अन्य बाहरी शक्ति का कोई हस्तक्षेप नही है. भारतीय दर्शन की इस परम्परा को बलपूर्वक नष्ट कर दिए जाने का आभास मिलता है, क्योंकि हमारे प्रतिद्वंदी ग्रथों में वर्णित भौतिकवादियों के भाष्य और ग्रन्थ अब उपलब्ध नही है, न ही इस दार्शनिक धारा का कोई नामलेवा बचा है. इस ब्लॉग के माध्यम से हमारा प्रयास मानवतावादी दृष्टि कोण को उभारने का रहेगा जो किसी संप्रदाय अथवा धर्म (religion) के हस्तक्षेप से मुक्त हो. अगर आप ईश्वर की सत्ता में अविश्वाश रखते हैं, मानव को स्वयं का नियंता समझते हैं इस ब्लॉग में आपका स्वागत है. सदस्य बनने के लिए आपका नास्तिक होना एकमात्र योग्यता है fgh1256 एट जीमेल डोट काम पर मेल करें. यहाँ आप अपने प्रश्न जिज्ञासाएं एवं नास्तिकता तथा धर्म (religion)विषयक विचार पर तर्क-वितर्क कर सकते हैं, शर्त सिर्फ यह है की भाषा अपशब्द एवं व्यक्तिगत आक्षेपों से मुक्त होनी चाहिए.

24 comments:

  1. भई आजतक इन्सान की उत्पत्ति का ही कोई उद्देश्य समझ में नहीं आ पाया तो भला इस ब्लाग के उदेश्य की तो बात ही क्या की जाए :-)

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  2. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आपका ब्लौग लेखनकार्य सफल हो और सभी नास्तिकता के महत्व को समझें और इसे अपनाएं.

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  3. सार्थक लेखन की अपेक्षा है, शुभकामनाएँ.

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  4. ham aapke saath hain...iska link jald hi janpaksh par jud jaayegaa

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  5. स्वागत है। आशा है जोरदार सैद्धातिक बहस का आगाज़ होगा।

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    www.vyangya.blog.co.in
    www.vyangyalok.blogspot.com

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  6. hamari shubh kamnaye aap ko

    shekhar kumawat
    http://kavyawani.blogspot.com/

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  7. अरे वाह टीम तो धमाकेदार तैयार हुई है । इस पर होने वाली बहस भी बहुत से गजब के निष्कर्ष निकाल कर लाएगी इसका विश्वास है हमें ।आप सबको और इस नए ब्लोग को हिंदी ब्लोग्गिंग में अपने योगदान के लिए शुभकामनाएं

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  8. "लोकायत परंपरा" हमारे देश की वह प्राचीन परंपरा है, जो जनमानस में प्रचलित थी, न कि सिर्फ़ ब्राह्मणवादी परंपरा के एक हिस्से के रूप में. इस दर्शन को अपेक्षित संरक्षण न मिलने से धीरे-धीरे इसके लिखित साक्ष्य मिटते गये...पर गाँवों के असवर्ण वर्ग में इस दर्शन की झलकियाँ मिलती हैं अब भी...हमें इस राख में चिंगारी ढूँढ़ने का काम करना होगा.

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  9. प्रकृति, विश्व-ब्रम्हांड, मानव समाज, कहीं भी जिस ईश्वर का जब अस्तित्व ही नहीं है तब फिर उसे मानने ना मानने का प्रश्न ही कहाँ उठता है। ऐतिहासिक भौतिकवादी दृष्टिकोण को यहाँ समुचित ढंग से रखा जाएगा ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। इस ब्लॉग से ज्ञान की गंगा बहेगी यही उम्मीद है।

    दृष्टिकोण
    www.drishtikon2009.blogspot.com

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  10. यह कमी खलती थी...
    भई वाह...खूब रहेगा...

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  11. चलो कुछ अलग हटकर तो पढने को मिलेगा। लगे रहिएगा।

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  12. ये सही रहा...
    ऐसे चौपाल में सबका हित सुनिश्चित है... अतः: सुलभ तुम भी आहुति दे दो...

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  13. व्यक्तिगत संबंधों को सार्वजनिक मंचों और बहसों में निभाने की जो (कु)परंपरा हिंदी साहित्य और पत्रकारिता की जान को घुन की तरह लगी हुई है और सामुदायिक ब्लागों पर अकसर ‘सलाम-सलाम’, ’बधाई-बधाई’ की शक्ल में दिखाई दे जाती है, से ऊपर ऊपर उठकर इस ब्लाग के सदस्य, ग़लत लगने पर अपने ही ब्लाग के सदस्य की बात का भी पूरी तीव्रता से विरोध करते हुए,हिंदी ब्लागिंग में बहस की दुनिया में नए आयाम जोड़ेंगे, फिलहाल इतनी उम्मीद तो मैं भी रखता हंू।

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  14. अपेक्षित संरक्षण न मिलने से धीरे-धीरे इसके लिखित साक्ष्य मिटते गये...
    प्रत्यक्षम किम प्रमाणं?
    सत्य को संरक्षण और बलात प्रचार के बहाने की ज़रुरत नहीं... और असत्य बारूद के दम पर भी बहुत समय तक टिकने वाला नहीं - जियेगा मगर घिसटता हुआ.

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  15. पङकर बेहद हँसी आयी कभी मैं ऐसे
    ही सोचता था पहले मुझे लगता था
    कि भारत में पत्रकार खुशवन्त सिंह
    ही नास्तिक हैं पर आप लोगों की
    टीम अब मैं क्या कहूँ या तो आप
    मेरे पूर्णतः आध्यात्मिक ब्लाग को
    देखने का कष्ट करें अथवा विपक्षी टीम
    की तरफ़ मुझे लें लें क्योंकि एक पक्षीय
    बात का कोई महत्व नहीं होता..वैसे
    मुझे आपसे (टीम ) पूरी पूरी सहानुभूति
    है अगर आपने कबीर या तुलसी
    रामायण ही ठीक से पङी होती तो आज
    ये ब्लाग देखने को नहीं मिलता ..खैर
    नास्तिकता भी एक तरह की आस्तिकता
    ही है . मैं विपक्ष से जबाब देने को तैयार
    हूँ शुभकामनांए
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

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    1. Agar aap ramayan aor mahabharat jitni bhi kahaniyan hai to aap ko ye science k nazar se dekhna chahiye agar koi udti hui cheej apke paas aaj aye jisse koi utar raha ho to ap kya sochenge yahi na ki ek jahhaz ya koi space ship hai aor vahi udti hui chees agar satyug me dekhi gayi ho to vo sochenge ki koi devta arahe hai vo divya drishti se dekhenge mere kahne ka tatparya yah hai ki
      Jo ramayan ki divya ghatnao ki baat karte hai vo koi jaadu nahi balki aaj ki hi tara koi technology hogi

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    2. Agar aap ramayan aor mahabharat jitni bhi kahaniyan hai to aap ko ye science k nazar se dekhna chahiye agar koi udti hui cheej apke paas aaj aye jisse koi utar raha ho to ap kya sochenge yahi na ki ek jahhaz ya koi space ship hai aor vahi udti hui chees agar satyug me dekhi gayi ho to vo sochenge ki koi devta arahe hai vo divya drishti se dekhenge mere kahne ka tatparya yah hai ki
      Jo ramayan ki divya ghatnao ki baat karte hai vo koi jaadu nahi balki aaj ki hi tara koi technology hogi

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  16. @राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी - महाशय, आपका स्वागत रहेगा. चर्चा में आप टिप्पणी के माध्यम से भाग ले सकते हैं.

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  17. अच्छी पहल है,बन्धु...यह वाकई साफ होना ज़रूरी है कि भारतीय दर्शन का एक बहुत बड़ा अध्याय और दृष्टिकोण भौतिकवाद भी था. मगर ब्राह्मणवादी और रुढ़िवादी धार्मिक पंथों ने इसका लोप कर दिया. और लोकायत विचारधारा के साथ साथ चार्वाक जैसे दर्शन का भी लगभग बहुत सा भाग नष्ट हो गया. आज जो चार्वाक उपलब्ध है.. बहुत हद तक चार्वाक दर्शन में सशोधन किया गया है, ऐसे ही कई रुढ़िवादी पंथों द्वारा..और इस वजह से चार्वाक दर्शन भारतीय अन्य दर्शनों के सापेक्ष बहुत देर नहीं टिक पाता है...समाज में चार्वाक दर्शन की भूमिका एक अल्प स्तर पर है, और संशोधित संस्करण चार्वाक कीआलोचना हो जाने का स्पेस भी देता है....इस पर बहस - मुबाहिसे कई बातों को सामने ला सकते हैं...जो बेहद प्रभावी एवं प्रेरक हो सकते हैं.
    ये सिर्फ नास्तिकवाद आस्तिकवादी चर्चा का केंद्र ही नहीं...आध्यात्म और सत्य असत्य पर होने वाली बहसें नितांत बकवास हो जाती हैं कभी कभी...बेहतर यही रहता है कि विचारधाराओं के लोप और तत्कालीन समय की व्यवस्था अथवा आज के समय में ऐसी विचाधाराओं की भूमिका क्या हो सकती है...इसपर की जाए चर्चा....तो यह बेहतर होगी

    Nishant

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  18. अच्‍छी पहल।

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  19. अच्छी शुरुआत।

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  20. Bramhand ki utpatti kisi ki rachayita nahi hai ye mahaz ek ghatna hai jise ham sochte hai ki kisi bhagwan ne banaya hai bhagwan sirf ham hi hai aor koi nahi aor apka blog mujhe bahot pasand aya dhanyawaad

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  21. Bramhand ki utpatti kisi ki rachayita nahi hai ye mahaz ek ghatna hai jise ham sochte hai ki kisi bhagwan ne banaya hai bhagwan sirf ham hi hai aor koi nahi aor apka blog mujhe bahot pasand aya dhanyawaad

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    1. أَوَلَمۡ يَرَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓاْ أَنَّ ٱلسَّمَـٰوَٲتِ وَٱلۡأَرۡضَ ڪَانَتَا رَتۡقًا فَفَتَقۡنَـٰهُمَا‌ ۖ
      “ हिन्दी अनुवाद ”:-जो लोग काफिर (अल्लाह का इनकार करने वाले ) हो बैठे क्या उन लोगों ने इस बात पर ग़ौर नहीं किया कि आसमान और ज़मीन दोनों एक-दूसरे से मिले (जुड़े ) हुए थे तो हमने दोनों को अलग किया (खोल दिया)… ( सूरह अंबिया - आयात- 30 )

      इस कुरआन के श्लोक से हमें यह बात का पता 1425 सौ साल पहले चला लेकिन साइंस ने इतनी तरक्की और नए-नए आविषकारी साधन बनाने के बाद हमें अभी अभी बताया कि “ बिग-बँग थेरी ( Big bang theory ) ” की वजह से गेलँग्ज़ी (Galaxy ) और पृथ्वी, चंद्र, सूर्य, एवं तारों ( इत्यादी ) का निर्माण हुआ ।

      وَجَعَلۡنَا مِنَ ٱلۡمَآءِ كُلَّ شَىۡءٍ حَىٍّ‌ ۖ أَفَلَا يُؤۡمِنُونَ
      “ हिन्दी अनुवाद ”:- और हम ही ने हर जानदार चीज़ को पानी से पैदा किया इस पर भी ये लोग ईमान न लाएँगे ? ( सूरह अंबिया - आयात- 30 )

      इस कुरआन के श्लोक से हमें यह बात का पता 1425 सौ साल पहले चला लेकिन साइंस ने इतनी तरक्की और नए-नए आविषकारी साधन बनाने के बाद हमें अभी अभी बताया कि “ सायटोप्लाझम ( पेशीद्रव्य ) जो कि कोषा ( cell ) का मूलभूत घटक है, उसमें 80 % पानी होता है। आधुनिक विज्ञान ने यह भी सिध्द किया है कि ज्यादा तर सजीव में 50% से 90% तक पानी पाया जाता है। और प्रत्येक जैविक घटक में जीवन गुजारने के लिए पानी बहुत जरूरी है। ”

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